स्वतंत्रता संग्राम
DATED-15.08.2013
वो भारत था सोने चिड़िया,
वो भारत था इक तारा,
जगमगाया जब-जब वो
सारी क़ायनात को रोशन डाला।
एक बार लुटेरों ने उसे पूरा लूट डाला
ले गए तारा वो हमारा, वो सम्मान हमारा !
हमें उन्होंने ललकारा
सो डट खड़े हुए हम
लेकर यलगार का नारा।
खड़े रहे पर झुके नहीं ,
इरादा जो था अडिग हमारा
क्योंकि था प्यारा हम सबको
हमारा भारत न्यारा !
सारे जहाँ से अच्छा
था हिंदोस्ता हमारा
तभी वन्दे मातरम का लिए
अहिंसा के मार्ग पर चला भारत सारा ।
लुटेरे डर के मारे थर-थर कांपे ,
और दांतो तले ऊँगली उसने चबा डाली ,
मारी थी स्वयं के ही पाँव पर कुल्हाड़ी जो उसने
सो भाग खड़ा हुआ लिए हार की धारा ।
-पार्थ भंडारी
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