चलता जा DATED-27.04.2013
चलता जा तू चलता जा ,
आगे तू बढ़ता जा ,
अडिग ,अचल ,अमर की तरह
सफल तू होता जा।
तन्हाई और मुश्किलें हैं
इस जग में भरी हुई
तो चीरता जा इन तन्हाइयों को
और आगे तू बढ़ता चला जा ।
इतना आगे बढ़ जा
की कोई तुझे न हरा सके
न ही तुझे कोई झुका सके
विफलता को तू कर दे विफल
और तू हो जा सफल ।
चलता जा चलता जा
और आगे तू बढ़ता जा!!!!!
-पार्थ भंड़ारी
-पार्थ भंड़ारी
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